चांद अपना चेहरा छुपाता कहां है ।

चांद अपना चेहरा छुपाता कहां है
बादलों के बीच अक्सर आता जाता यहां है
हम तेरे दीदार को ऐसे तरस गए
बिन बादल के ही हम यूं ही बरस गए
जिसे देखकर हम जीते रहे हैं
जख्मों को हम सीते रहे हैं
जाम पर जाम हम पीते रहे हैं
तुम बिन जिंदगी जीते रहे हैं
चांद भी अपना चेहरा छुपा था कहां है
बादलों के बीच अक्सर आता जाता यहां है।।