तुम्हारे इशारे भुला ना पाया
दिल को मैं पत्थर बना ना पाया
हो तुम किसी और की अमानत
रिश्ते की नजाकत समझ ना पाया
तुम्हारे इशारे भुला ना पाया
दिल को मैं पत्थर बना ना पाया
तकलीफें जुदाई की संभाल ना पाया
आसुओं को रोक ना पाया
आती जाती रहती है हर पल
खुद को पत्थर बना ना पाया
तुम्हारे इशारे भुला ना पाया
दिल को पत्थर बना ना पाया
हो तुम किसी ओर का जानू
खुद को मैं मोती बनाना पाया
अंजाम -ए -इश्क का भान था मुझको
पर दिल को मैं समझ ना पाया
सोचा था ना आऊंगा सामने
खुद को मैं छुपा ना पाया
राहों को बदल के मैंने देखा
हर जगह बस तुझको पाया
तुम्हारे इशारे भुला ना पाया
दिल को मैं पत्थर बनाना पाया