एक ही मन था मेरा
जो गए उनके पास
अब हम क्या करें।।
मोरनी की सुनाई पड़ती है झंकार
कोयल की कू कू की आती आवाज
शीतल हवाओं की बहती बयार
पुकारती है मुझको बार-बार
पर एक ही मन था मेरा
जो गए उनके पास
अब हम क्या करें।।
महफिलों में दिखती है हर तरफ बहार
सुनाई पड़ती है कलियों की पुकार
संगीत की धुन से मन है बेकरार
फूलों की खुशबू से जग है गुलजार
पर एक ही मन था मेरा
जो गए उनके पास
अब हम क्या करें।।
ठहर जा ऐ खुशबू
ना आना इस बार
मेरी दुनिया पहले से है गुलजार
तेरे हर इशारे हो जाएंगे बेकार
मेरा दिल रहता है मिलने को बेकरार
एक ही मन था मेरा
जो गये उनके पास
अब हम क्या करें।।