तुमसे दिल लगाने की सजा पाई है

तुमसे दिल लगाने की सजा पाई है

हर पल तेरी यादों की बारात आई है
दिल के हर कोने में तेरी परछाई है
तेरे ना होने पर एक मायूसी छाई है
तुझसे दिल लगाने की सजा पाई
तुझे  तुझे मेरी चाहत समझ क्यों ना आई है

मेरी जिंदगी को भी मेरी खुशी रास आई है

तेरे ना होने की अब नहीं भरपाई है
तुमसे दिल लगाने की सजा पाई है
अश्कों के साथ मैंने जिंदगी बिताई है
हर जगह दिखती तेरी परछाई है
मोहब्बत में मैंने कैसी सजा पाई 
तुमसे दिल लगाने की सजा पाई है
खुश रहता था हर पल मैं जिंदगी में ए दोस्त

तेरी दोस्ती अब मेरे गले की फांस बन आई है

ना मिल सकोगी मुझे जिंदगी में कभी

सोच कर जिंदगी आफत बन आई है
तुमसे दिल लगाने की सजा पाई है