जो चांद निकलता था देखकर मुझको
वह चांद छुप जाता है आजकल अब तो
जो चांदनी रातों में इंतजार करती थी
खुद ही मोहब्बत का इजहार करती थी
जो चांद निकलता था देखकर मुझको
वो चांद छुप जाता है आजकल अब तो
जब नजर आती है दिल थम सा जाता है
दिल में उमंग व मोहब्बत जाग जाता है
एक हया सी दिल में उसे भरमाता है
मिलन की चाह दिल में कहीं दब सा जाती है
जो चांद निकलता था देखकर मुझको
वो चांद छुप जाता है आजकल अब तो
बदली जब छा जाए तो एक लाचारी आती है
बादलों के बीच से वह मुस्कुराती है
हर घड़ी इंतजार क्यों मुझको रहता है
पलकों पे आंसू ,नजर में प्यार रहता है
जो चांद निकलता था देखकर मुझको
वह चांद छुप जाता है आजकल अब तो
कुछ बातें दिल में है ,बेचैन करती है
चांद को छूपने पर मजबूर करती है
हर कलाओं का हम हैं दीवाने
वह जानती हैं कि हम उसके परवाने
जो चांद निकलता था देखकर मुझको
वह चांद छुप जाता है आजकल अब तो