कैसे बताऊं मैं तुमको ,तुम मेरे लिए क्या हो

कैसे बताऊं मैं तुमको ,

तुम मेरे लिए क्या हो

दिल की धड़कन हो तुम

हर स्पंदन की पुकार हो ,

सांसे जब रूकती है ,

उस वक्त का सहारा हो तुम ,

अंधेरे की उजाला हो ,

बसंत रितु की बहार हो ,तुम

वर्षा ऋतु की हल्की हल्की फुहार हो ,

कैसे बताऊं मैं तुमको ,

तुम मेरे लिए क्या हो?

 

कैसे बताऊं मैं तुमको,

तुम मेरे लिए क्या हो,

सुबह की पहली किरण हो,

प्रकृति का उपहार हो तुम ,

ओंस की ठंडी बौछार हो ,

उपवन की कच्ची कली हो तुम,

खोवा की मिठास हो,

गरमी में शीतल पवन का एहसास हो,

कैसे बताऊं मैं तुमको ,

तुम मेरे लिए क्या हो।

 

मथुरा का पेड़ा हो तुम ,

आगरे का पेठा हो,

प्रयागराज का अमरुद हो तुम ,

मनेर का लडडू हो,

गया का तिलकुट हो तुम ,

रत्नागिरी का हापूश हो ,

बंगाल का रसगुल्ला हो तुम

कश्मीर का केसर हो

कैसे बताऊं मैं तुमको ,

तुम मेरे लिए क्या हो।

 

 

गंगा की पावन धारा हो तुम 

आगरा का ताजमहल हो तुम ,

दिल्ली का कुतुब मीनार हो,

चांदनी रात की चांदनी हो तुम,

कोयल की पुकार हो,

कैसे बताऊं मैं तुमको,

तुम मेरे लिए क्या हो?

 

सपनों की रानी हो तुम,

स्वर्ग की अप्सरा हो ,

परियों की रानी हो तुम, 

मेरे जीवन की पूरी कहानी हो ,

जो भुला ना सको मैं कभी ,

ऐसी अद्भुत निशानी हो तुम,

मैं कैसे बताऊं तुम्हें तुम मेरे लिए क्या हो

 

कोलाहल में संगीत हो तुम ,

युद्ध में भी जीत हो ,

हार में भी मीत हो तुम,

हरमन को जो भाये, 

ऐसी संगीत हो तुम ,

भ्रमरगीत हो तुम, 

कैसे बताऊं मैं तुम्हें

तुम मेरे लिए क्या हो?

 

राधा का अनुराग हो तुम ,

बिरह में प्यारी राग हो तुम, 

सीता की पवित्रता हो,

  द्रौपदी की प्रतिज्ञा हो तुम ,

पद्मावती का त्याग हो ,

झांसी की रानी का शोयॆ हो तुम ,

कैसे बताऊं मैं तुम्हें

तुम मेरे लिए क्या हो?

 

सुख दुख का साथी हो तुम ,

सात फेरों की मजबूत नींव हो 

हस्त रेखाओं की लकीर हो तुम,

जो कभी ना बदले जीवन में,

ऐसी सुंदर नसीब हो तुम,

मेरे जीवन का संकट मोचन हो,

  हर पल चमकने वाली तस्वीर हो तुम ,

कैसे बताऊं मैं तुम्हें

तुम मेरे लिए क्या हो?  

 

मेरी आंखों की रोशनी हो तुम,

चित का चितवन हो ,

पेड़ की छांव हो तुम,

फलों में आम हो तुम ,

मेरी जान हो तुम ,

जो हर पल मेरे साथ चले, 

ऐसी पहचान हो तुम ,

कैसे बताऊं मैं तुम्हें

तुम मेरे लिए क्या हो?

 

ना बुझे कभी लो जिसकी ,

वह शाश्वत दीपक हो तुम ,

मेरे अशांत मन की जरूरत हो तुम ,

मेरे घर की शान,

और मेरे मंदिर का भगवान हो तुम,

कैसे बताऊं मैं तुम्हें ,

तुम मेरे लिए क्या हो ?