सात फेरों का चक्रव्यूह तोड़ नहीं सकता मैं

सात फेरों का चक्रव्यू
तोड़ नहीं सकता मैं
कसमे -वादे बंधन को
छोड़ नहीं सकता मैं ।।

जिसने अपना सब छोड़ा
नए रिश्ते निभाने को
उस सुंदर रचना से
मुंह मोड़ नहीं सकता मैं ।।

जिसने अपने दामन से
सिर्फ अमृतधारा बहाया है
जिसने आंसुओं को छुपाकर
खुशी का पुष्प खिलाया है ।।

उस पवित्र धरा को
अपवित्र नहीं कर सकता मैं
जिसने अपना सब कुछ छोड़ा
उसको छोड़ नहीं सकता मैं ।।

जिसने सृष्टि को हर पल
सुंदर पुष्पों से सजाया है
जिसने अपने आंचल से
कांटों को उठाया है ।।

उस देवी की ताकत को
झुठला नहीं सकता मैं
उस अनमोल कृति से
मुंह मोड़ नहीं सकता मैं ।।

जिसके पावन स्थल से
हर पल सृष्टि बढ़ती है
जिसके आंचल के साए में
सुख -शांति ही पलती है ।।

जिसने अपने तपोबल से
यमराज को लौटाया है
उस पवित्र हृदय को
तोड़ नहीं कर सकता मैं ।।

जिसके देखने मात्र से
सिहरण पैदा होती है
जिसके आंसुओं के प्रताप से
कुरुक्षेत्र की रचना होती है ।।

जो सृष्टि और विनाश का
एक सरल स्रोत है
उस देवी शक्ति से
मुंह मोड़ नहीं सकता मैं ।।

सात फेरों का का चक्रव्यूह
तोड़ नहीं सकता मैं
कसमे वादे बंधन को
छोड़ नहीं सकता मैं।।

ENGLISH VERSION

I cannot break the chakravyuh of seven circles.

I cannot leave the bond of oath and promise.

I cannot turn my face away from that beautiful creation.

Who has left everything to maintain a new relationship.

Who has poured only Amritdhara from her lap.

Who has made the flower of happiness bloom by hiding her tears.

I cannot defile that holy land.

Who has left everything, I cannot leave her.

Who has decorated the universe with beautiful flowers every moment.

Who has picked up the thorns with her Aanchal.

I cannot deny the power of that goddess.

I cannot turn my face away from that priceless creation.

From whose holy place.

The universe grows every moment.

In the shade of whose Aanchal only happiness and peace flourish.

I cannot break that pure heart.

whose mere sight brings back Yamraj.

whose tears create Kurukshetra.

whose power is the simple source of creation and destruction.

I cannot turn my face away from that Devi Shakti.

who is the simple source of creation and destruction.

I cannot break the Chakravyuh of seven circles.

I cannot leave the bond of oath and promise.