वो तेरा आना वो तेरा जाना

वो तेरा आना,

 वो तेरा जाना,

 वो तेरा मुस्कुराना,

 वो तेरा इठलाना ।

 

याद आता है मुझको ,

तेरा याराना।।-2

 

 प्रीति जो की थी तुमसे,

 जिया से किया था ,

चाहत हमारी ऐसी ,

नजरों से मदिरा पिया था,

                  मदिरा पिया था।

 

 चढ़ा था नशा ऐसा,

 वफा दिल से किया था ,

प्रीति कभी कम ना हो ,

ऐसा मोहब्बत किया था,

               मोहब्बत किया था।

 वो तेरा शर्माना ,

वो तेरा छुप जाना,

 वो तेरा घबराना,

 वो तेरा मुस्कुराना।

 

 याद आता है मुझको,

      तेरा याराना।-2

 

 हर पल याद आए ,

वो गुजरा जमाना ,

निभाया था दिल से ,

वो बन गया फसाना। 

           बन गया अफसाना।।

  

 बिछोह जो हुआ तुमसे,

 लुट गया दिल का खजाना,

दिखती नहीं हो कहीं ,

मदिरालय हो गया ठिकाना।

                  हो गया ठिकाना।।

 

 वो तेरा आना ,

वो तेरा जाना हो ,

वो तेरा मुस्कुराना,

 वो तेरा इठलाना ,

 

याद आता है मुझको ,

वो चेहरा छुपाना।

 

 बेवफा तुम ना थी ,

सीखा वफा निभाना,

 जान मेरी ना निकले ,

दे देना एक बहाना ।।-2

 

अब शायद ही मिले हम,

 गया वो जमाना ,

बस एक चाह मेरी,

 अब ना आंखें मिलाना ,

            ना आंखें मिलाना ।

 

वो तेरा शर्माना ,

वो तेरा छुप जाना ,

वो तेरा घबराना ,

वो तेरा मुस्कुराना ,

 

याद आता है मुझको ,

तेरा याराना।

 

यह कविता प्रेम के बीते पलों और उस मधुर संबंध की यादों को संजोए हुए एक भावपूर्ण अभिव्यक्ति है। इसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका के साथ बिताए हसीन पलों को याद कर रहा है—उसका आना-जाना, इठलाना, मुस्कुराना और शर्माना। इन यादों में खोए हुए, वह उस समय को याद कर रहा है जब उनकी मोहब्बत गहरी थी और हर नज़र में एक नशा था।कविता में प्यार की गहराई, उसकी मासूमियत और बिछोह की पीड़ा को बेहद सुंदर तरीके से व्यक्त किया गया है। प्रेमी की चाहत और उसकी वफ़ा को इस तरह दर्शाया गया है कि भले ही अब वो पुराने दिन लौट नहीं सकते, लेकिन उन पलों की यादें आज भी उसके दिल में बसी हुई हैं।बिछड़ने के बाद की उदासी और दिल के टूटने का दर्द भी साफ झलकता है, जहां प्रेमी यह मानता है कि अब शायद दोबारा मिलना मुश्किल है, पर वह एक अंतिम बहाने की उम्मीद में है। कविता में प्रेम का वह आदर्श रूप भी नज़र आता है जहां बेवफाई का इल्ज़ाम नहीं है, बल्कि सच्चाई और वफ़ादारी की सीख है।