ईश्वर ने सब कुछ दिया ,
फिर भी घर-घर झगड़ा है ,
सोचो फिर क्या बात है,
अकारण क्यों लफड़ा है ,
प्रकृति का वरदान है ,
सृजन का परिणाम है,
जहां जहां इंसान है ,
वहीं पर ऐसा परिणाम है ,
सुख दुख में मिलकर रहे ,
करते सब बात हैं ,
लेकिन मौका मिलते ही दिखते ,
हर तरफ भितरघात है ,
सामने से अच्छे हैं ,
पीछे से कुछ और बात है ,
जहां भी देखो हर तरफ
तू -तू ,मैं -मैं जैसी बात है ,
इंसान का फितरत और नियत,
कहां साफ है ,
हर जगह स्वार्थ है,
सिर्फ अपने ही बात है ,
सगे संबंधी अपने हैं ,
सुख में सब साथ हैं ,
दुख में कहा वह बात है ,
ईश्वर ने सब कुछ दिया ,
फिर भी घर-घर झगड़ा है,
सोचो फिर क्या बात है ,
अकारण क्यों लफड़ा है ,
अकारण क्यों लफड़ा है।।