तेरी नजरों के वो इशारे – कविता

तेरी नजरों के वो इशारे ,

हमसे तो कुछ कह रही है,

थोड़ा खुलकर सामने आओ ,

मेरी नजरें कुछ और समझ रही है ।।

 

धोखा ना हो जाए तुमको ,

धोखा ना हो जाए मुझको ,

मेरा दिल पल-पल संभल रही है ,

थोड़ा खुलकर सामने आओ ,

मेरी नजरे कुछ और समझ रही है ।।

 

तेरी भाव भंगिमा मुझको ,

कुछ – कुछ कह रही है ,

थोड़ा खुलकर सामने आओ ,

मेरी नजरे कुछ और समझ रही है ।।

 

तेरी दबी दबी इशारे ,

मेरी हलचल बढ़ा रही है ,

थोड़ा खुलकर सामने आओ,

मेरी नजर कुछ और कह रही है ।।

 

तुम्हें देखते रहे कब तक ,

मेरी धड़कनें बढ़ रही है ,

थोड़ा खुलकर सामने आओ ,

मेरी आंसू ना रुक रही है,

तेरी नजरों के वो इशारे ,

हमसे कुछ कह रही है,

 

तेरे होठों की वो लालिमा ,

मुझसे इशारे कर रही है ,

मेरे पर यू ना जुल्म ढाओ ,

थोड़ा खुलकर सामने आओ ,

मेरी नजर कुछ और समझ रही है।।