नए दोस्त बनाने से डरता हूं ।

तेरी चाहत कि वह कशिश थी

जो मुझको खींच लाई

तेरी आंखों की वो नजाकत

जो मुझको खींच लाई

 

जीते थे खुलकर पहले

कैसी बेचैनी छाई

तेरी चाहत की वह कशिश थी

जो मुझको खींच लाई

 

पहले जो थे हमारे

उनसे भी दूरी आई

खुशियों के साथ-साथ

मायूसी क्यों है छाई

 

तेरी चाहत की वह कशिश थी

जो मुझको खींच लाई

हंसते गाते जिंदगी में

कैसी ग्रहण छाई

 

तेरी चाहत कि वह कशिश थी

कि नींद भी  घबराई

खुद को भूलाकर मैंने

कैसी जीवन ये पाई

 

तेरी आंखों की वह कशिश थी

तेरी आंखों की वह कशिश थी

जो मुझको खींच लाई ।।

 

करती थी जिंदगी चैन से

बेचैनी लेकर आई

तेरी चाहत की कशिश ने

मुझको खींच लाई

 

क्या खता किया था मैंने

तुझे मेरी ही जिंदगी भाई

तेरी चाहत की कशिश ने

मुझको खींच लाई