जंग न लगने दो तलवारों में

जंग ना लगने दो तलवारों में ,

देश बंटवारे को फिर से तैयार है ,

हर तरफ चित्कार है ,

अबलाओ के ऊपर अत्याचार है ,

दुश्मन छिपे हैं आस्तीन में ,

पर उनकी तैयारी आर पार है,

मत समझना ए दोस्त उन्हें लाचार ,

देश फिर से बंटवारे को तैयार है ।।

 

छुपे कारखाने चल रहे हैं ,

नई पीढ़ी तैयार है ,

तैयारी जबरदस्त है ,

घर घर में औजार है ,

लङाई आर या पार है ,

जंग न लगने दो तलवारों में ,

देश बंटवारे को फिर से तैयार है।।

 

हर तरफ शांति का ढोंग है ,

पर कफन तैयार है ,

भाप लो आने वाले खतरे को,

नई पीढ़ी तैयार है ,

घर घर में हथियार है ,

बच्चा बच्चा भी तैयार है ,

जंग की शुरुआत हो चुकी है,

देश फिर से बंटवारे को तैयार है,

जंग ना लगने दो तलवारों में ।।

उनकी एकता अपरंपार है

पर सीखने को नहीं कोई तैयार है,

हर तरफ कत्लेआम है

कानून भी लाचार है ,

जंग ना लगने दो तलवारों में,

देश बंटवारे को फिर से तैयार है ।।

 

खादी अवसरवाद का शिकार है,

न्यायपालिका को सबूतों का इंतजार है,

हर तरफ मची है कत्लेआम ,

सुनने को कोई नहीं तैयार है ,

जंग न लगने दो तलवारों में ,

देश बंटवारे को फिर से तैयार है ।।

 

राजनीति परिवारवाद का शिकार है

शासन-प्रशासन लालफीताशाही से बीमार है,

हर तरफ भ्रष्टाचार है,

जंग न लगने दो तलवारों में ,

देश बंटवारे को फिर से तैयार है ।।

जंग न लगने दो तलवारों में ,

देश बंटवारे को फिर से तैयार हैं ।।