मैं कवि नहीं किसी रस का ,पर रस से सराबोर रहता हूॅ ।।
मैं कवि नहीं किसी रस कापर रस से सराबोर रहता हूकिंचित मात्र कलेश नहींसबसे अनन्य प्यार करता हूं मैं राही नहीं किसी पथ कापर पथ से जुडाव रखतावसुंधरा मां समान हैधरा की लाज रखता हूं मैं सैनिक नहीं किस देश Continue Reading …