मैं कवि नहीं किसी रस का ,पर  रस से सराबोर  रहता हूॅ ।।

मैं कवि नहीं किसी रस कापर  रस से सराबोर  रहता हूकिंचित मात्र कलेश नहींसबसे अनन्य प्यार करता हूं मैं राही नहीं किसी पथ कापर  पथ से जुडाव रखतावसुंधरा मां समान हैधरा की लाज रखता हूं मैं सैनिक नहीं किस देश Continue Reading …

मैं कवि नहीं किसी रस का ,पर  रस से सराबोर  रहता हूॅ ।।

तुम्हारे इशारे भुला ना पायादिल को मैं पत्थर बना ना पायाहो तुम किसी और की अमानत                 रिश्ते की नजाकत समझ ना पाया                  तुम्हारे इशारे भुला Continue Reading …