नीतू कुमारी की सुंदर हिंदी कविता- अखंड बन ,प्रचंड बन ,दुश्मनों का खंड-कर।

अखंड बन ,प्रचंड बन ,दुश्मनों का खंड-कर बढ़ रहे हैं आतताई ,उसका तुम अंत कर जन्म लिया है भारत में तो, दुश्मनों का खंड-कर बढ़ रहे हैं दुराचारी ,उसका तुम अंत-कर अंत- कर अंत- कर अंत- कर सीमा पर प्रहार Continue Reading …

नीतू कुमारी की कविता – हर तरफ फैलती अंधकार का क्या करूं

यह कविता आज के समाज में बढ़ते अत्याचार ,अपराध ,अव्यवस्था को चित्रित करती है और इसमें कवि ने अपनी लाचारी व्यक्त की है कि इन परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए अर्थात इनका क्या समाधान हो? अंत में वह ईश्वर का Continue Reading …