नीतू कुमारी की सुंदर हिंदी कविता- अखंड बन ,प्रचंड बन ,दुश्मनों का खंड-कर।

अखंड बन ,प्रचंड बन ,दुश्मनों का खंड-कर बढ़ रहे हैं आतताई ,उसका तुम अंत कर जन्म लिया है भारत में तो, दुश्मनों का खंड-कर बढ़ रहे हैं दुराचारी ,उसका तुम अंत-कर अंत- कर अंत- कर अंत- कर सीमा पर प्रहार Continue Reading …