क्या लिखूं तू बता ,ऐ मेरे जानेमन ,
सिवा तेरे , कुछ भी याद नहीं,
अक्स तेरा मेरे मन में ,छाया है यू,
रब से पाने की तुझको , फरियाद मेरी ।।
क्या लिखूं तू बता, ऐ मेरे जानेमन—
मोहब्बत किया, जो तुमसे मैंने सनम,
हर पल तुझको ही सोचा, व चाहा मैंने,
दिल की बातें बता दी, दिल खोलकर,
तेरी चाहत से महका है, हर पल मेरा दिल।।
क्या लिखूं तू बता, ए मेरे जानेमन —-
जुस्तजू पाने की तुझको, कम ना हुई,
नींद में भी तेरा नाम गुनगुनाता रहा,
बंद हो आंखें या हो खुली ऐ सनम ,
तुमसे दूरियां मुझे ,तड़पता रहा ।।
क्या लिखूं तू बता ए मेरे जानेमन—
बेतहाशा मोहब्बत, हुई है मुझे ,
मेरी निश्चलता को, तूने ना समझा सनम, जिस्म हूं मैं ,मगर मेरी जान है तू ,
कैसे जिए बगैर जान के ए सनम।।
क्या लिखूं तू बात है मेरे जानेमन—