मैं हतप्रभ निस्तेज तुझे देखता चला गया ।
मैं हतप्रभ निस्तेजतुझे देखता चला गया -2शून्य छितिज की ओरऐसा बढा की खो गया हैये क्या हो गया -2 मैं क्या थाऔर क्या हो गयालाचार बेसहाराऔर बेचैन हुआसूध भी ना रहा स्वयं कीऐसा फंसा कीफंसा रहा वापसी अनिश्चित हुईअपना सब Continue Reading …