मेरी ख्वाहिश

मेरी ख्वाहिशों को ,वो नजरअंदाज कर गए जिस के इंतजार में बीते सालों साल , वही हमें बर्बाद कर गए ।।   कोशिश तो की थी ,मैंने तुझसे दिल लगाने की पर तुमने कोशिश कि ,मुझे आजमाने की विश्वास के Continue Reading …

ऐ वक्त शिकवा नहीं तुझसे

है वक्त शिकवा नहीं तुझसे, पर शिकायत है खुद से क्यों बढ़ गई इतनी दूरियां ,क्यों पैदा हुई गलतफहमियां ना तुम गलत थे ,ना मैं गलत था क्या वक्त ने पैदा कर दी ,इतनी सारी गलतफहमियां सोचा था कि मैं Continue Reading …

नीतू कुमारी की हिंदी कविता हवन करो ,हवन करो ।

हवन करो —हवन करो देश के दुश्मन को ना छोड़ो , उत्तर को दक्षिण से जोड़ो , पूरब को पश्चिम से जोड़ो , हवन करो — हवन करो समाज के भेड़िए को पकड़ो , उसको बेड़ियों में जकड़ो , मेहमान Continue Reading …

नीतू कुमारी की सुंदर हिंदी कविता- अखंड बन ,प्रचंड बन ,दुश्मनों का खंड-कर।

अखंड बन ,प्रचंड बन ,दुश्मनों का खंड-कर बढ़ रहे हैं आतताई ,उसका तुम अंत कर जन्म लिया है भारत में तो, दुश्मनों का खंड-कर बढ़ रहे हैं दुराचारी ,उसका तुम अंत-कर अंत- कर अंत- कर अंत- कर सीमा पर प्रहार Continue Reading …

नीतू कुमारी की कविता – हर तरफ फैलती अंधकार का क्या करूं

यह कविता आज के समाज में बढ़ते अत्याचार ,अपराध ,अव्यवस्था को चित्रित करती है और इसमें कवि ने अपनी लाचारी व्यक्त की है कि इन परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए अर्थात इनका क्या समाधान हो? अंत में वह ईश्वर का Continue Reading …

फिर भी है सबका कहना मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

फिर भी है सबका कहना —————–मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना पर मेरा ये है कहना ———————मजहब ही है सिखाता आपस में बैर रखना पाक में 30 परसेंट थे , 1 परसेंट कैसे हो गए हम । मर गए Continue Reading …

फूलों की खुशबू( the scent of flowers)

जरूरी नहीं की फूलों को मसला आ जाए । खुशबू ही काफी है, महसूस करने के लिए ।। जरूरी नहीं कि फूलों को तोड़ा जाए एक झलक काफी है ,सुकून के लिए ।। जरूरी नहीं कि फूलों को रगड़ा जाए। Continue Reading …

कैसे बदल गई जिंदगी तुम्हारे आने के बाद : यह कविता उन टीनएजर्स को समर्पित है जो जीवन में पहली बार किसी के आने के बाद अनुभव करते हैं और यह अनुभव उन्हें कुछ इस प्रकार से होता है जैसा इस कविता में वर्णित किया गया है।

कैसे बदल गई जिंदगी, तुम्हारे आने के बाद। ना रही समय की परवाह, ना रही अपनी परवाह।। कैसे बदल गई जिंदगी, तुम्हारे आने के बाद ना रही सोने की चिंता, ना रही कुछ करने की चाह । कैसे बदल गई Continue Reading …

सृजन प्रकृति का वरदान है।

सृजन प्रकृति का वरदान है । जीवन का एहसास , नव- विधान है। संकल्प का वैचारिक परिणाम है। अमूर्त उड़ान का मूर्त ज्ञान है। वैचारिक चिंतन के विस्तार की दूरी है । प्रकृति के हित का संरक्षण जरूरी है। बीज Continue Reading …

कहां गए वो लोग ?

कहां गए वो लोग ,जिनकी विरासत हम बचा ना पाए। कहां गए वो साथी , जिनकी यादों को हम भुला ना पाए।। कहां गए वो लोग ,जो आज भी याद आते हैं। आंखों से निकले आंसू , उनकी यादों में Continue Reading …