तुमसे ज्यादा खूबसूरत तेरी आंखें और पलक है।

तुमसे ज्यादा खूबसूरत तेरी आंखें और पलक है । देखूं जितना मैं तो इनको , मेरी आंखें अपलक है ।।-2    तेरी नजरों की अदाएं कितना भारी हम पर है । -2 देखू जितना मैं तो इनको, मेरी आंखें अपलक Continue Reading …

नए दोस्त बनाने से डरता हूं ।

नए दोस्त बनाने से डरता हूं , पुराने सारे बिछड़ गए, कुछ छूट गए , कुछ रूठ गए , कुछ याद रहे, कुछ भूल गए, नए दोस्त बनाने से डरता हूं,   एहसास जो उनके दिल में है, महसूस उसे Continue Reading …

उससे क्या बात करू ।

जो समझ ना पाए मुझे उससे क्या बात करूं ।।   जो सुबह से ही मेरा भेजा खाए उससे क्या बात करूं ।।   सोने से पहले ही भूत बन जाए उससे क्या बात करूं ।।   जो गड़े मुर्दे Continue Reading …

जंग न लगने दो तलवारों में

जंग ना लगने दो तलवारों में , देश बंटवारे को फिर से तैयार है , हर तरफ चित्कार है , अबलाओ के ऊपर अत्याचार है , दुश्मन छिपे हैं आस्तीन में , पर उनकी तैयारी आर पार है, मत समझना Continue Reading …

नए दोस्त बनाने से डरता हूं ।

तेरी चाहत कि वह कशिश थी जो मुझको खींच लाई तेरी आंखों की वो नजाकत जो मुझको खींच लाई   जीते थे खुलकर पहले कैसी बेचैनी छाई तेरी चाहत की वह कशिश थी जो मुझको खींच लाई   पहले जो Continue Reading …

नजरों और इशारों से मेल होता है

नजरों और इशारों से ही मेल होता है दिल मिले तो दिल को फिर जेल होता है नजरों और इशारों से ही मेल होता है दिल ना मिले तो फिर रेलम पेल होता है खोने और पाने का सब चक्कर Continue Reading …

हर तरफ मुर्दों की हो गई भरमार कविता संतोष कुमार सिंह द्वारा रचित

हर तरफ मुर्दों की हो गई भरमार सोचने की शक्ति है, तो सोच तो ले भोगने की शक्ति है, तो भोग कर ले खड़े हैं पर सामने , हो रहे अत्याचार मानवता कलंकित है, कानून है लाचार जनता मूकदर्शक है Continue Reading …

तेरी नजरों के वो इशारे – कविता

तेरी नजरों के वो इशारे , हमसे तो कुछ कह रही है, थोड़ा खुलकर सामने आओ , मेरी नजरें कुछ और समझ रही है ।।   धोखा ना हो जाए तुमको , धोखा ना हो जाए मुझको , मेरा दिल Continue Reading …

तुम ही प्रेरणा तुम ही शक्ति

तुम ही प्रेरणा, तुम ही ऊर्जा , तुम ही हो हो,वरदान प्रभु   सब के दिल में, तुम ही बसे हो तुम ही हो आशीर्वाद प्रभु ।।   तुम ही ताकत , तुम ही जिंदगी , तुम ही हो ,वरदान Continue Reading …

हदों को तोड़ मत देना – कविता संतोष कुमार सिंह द्वारा रचित

हदों को तोड़ मत देना , हम से मुंह मोड़ मत लेना, कभी हम तेरे दीवाने थे, दिलों को तोड़ मत देना ।।   हदों को तोड़ मत देना , रिश्तो को छोड़ मत देना, कभी सपनों में आती थी Continue Reading …