मयस्सर है वो हर पल मेरे ही ख्यालों में।

गजल के बारे में चार शब्द-

यह कविता बेहद खूबसूरत तरीके से मोहब्बत और उसके एहसास को बयां करती है। इसमें एक ऐसी प्रेम कहानी का जिक्र है जो खत्म नहीं हुई, बल्कि ख्यालों में हर पल जिंदा है। इश्क की गहराई, तन्हाई में साथी की मौजूदगी, और दूरियों के बावजूद मोहब्बत का एहसास बहुत ही संवेदनशील और दिल को छूने वाला है।

कविता की पंक्तियां भावनाओं को बहुत ही गहराई से व्यक्त करती हैं, जैसे कि वह “मयस्सर है वो हर पल, मेरे ही ख्यालों में”। यह दर्शाता है कि प्रेमी के ख्यालों में वह हमेशा मौजूद है। वहीं, “अलविदा कह ना पाया, जब वह हर पल मेरे पास है” यह बताता है कि मोहब्बत ऐसी चीज़ है जो कभी खत्म नहीं होती, भले ही मुलाकातें न हों।

कविता में मोहब्बत की इनायत, इत्तेफाक और फितूर को बेहद सुंदर ढंग से पेश किया गया है।

 

मयस्सर है वो हर पल,
मेरे ही ख्यालों में,
इत्तेफाक नहीं है ये ,
इनायत है मोहब्बत का।।-2

इल्म है मुझको हर पल,
इश्क में मदहोश था,
महजबीन मिली ना मुझको ,
पर आज भी वह हमदम है।।-2

मयस्सर है वो हर पल,
मेरे ही ख्यालों में,
इत्तेफाक नहीं है ये ,
इनायत है मोहब्बत का।।-2

लिहाज उसका है हर पल,          तन्हाई में भी पास है,
रोशनी फैली है इतनी ,
वस्ल की अब बात है ।।-2

वो मेरा फितूर है,
एहसासों से दिल आबाद है,
दूरियां तो बहुत है ,
पर खुशबू मेरे पास है।।

मयस्सर है वो हर पल,
मेरे ही ख्यालों में,
इत्तेफाक नहीं है ये ,
इनायत है मोहब्बत का।।-2

ऐतबार किया था उसका,
इश्क का फितूर था,
आरजू है मिलन की,
नसीब की अब बात है।।-2

अलविदा कह ना पाया ,
जब वह हर पल मेरे पास है,
नूर उसका कम ना हो ,
हया उसके साथ है ।।-2

एहसास तो हुआ उसको,        कयामत की रात में ,
मुलाकात अब मुनासिब नही,
अफसाना है इतिहास में।।-2

मयस्सर है वो हर पल,
मेरे ही ख्यालों में,
इत्तेफाक नहीं है ये ,               इनायत है मोहब्बत का।।-2