यह कविता गहरे भावनात्मक दर्द और धोखे की कहानी बयां करती है। इसमें एक इंसान अपने प्यार में मिली नाकामयाबी और टूटे दिल का इज़हार कर रहा है। पहले तो वह अपने प्यार को इशारों और यादों में जीता है, लेकिन फिर उसे एहसास होता है कि वह प्यार एक धोखा था, और जिसे वह अपनी ज़िंदगी मान बैठा था, वह वास्तव में उसकी भावनाओं से खेल रही थी।
कविता के माध्यम से प्यार में मिले धोखे, दर्द और निराशा की गहरी अनुभूति व्यक्त की गई है।
हुई बहुत चूक हमसे ,
कि तुझको प्यार किया ,
बिना समझे तेरे मन को,
मैंने अपना दिल दिया ।।-2
वो पल -पल इशारे तेरे ,
मुझको बुलाती थी ,
कहीं जाता था, मैं तो,
वापस खींच लाती थी।।-2
वहम हो गया था मुझको,
की इश्क मुझसे करती हो,
वो तेरा टाइम पास था ,
नहीं मुझ पे मरती हो ।।-2
हुई बहुत चूक हमसे ,
कि तुझको प्यार किया ,
बिना समझे तेरे मन को,
मैंने अपना दिल दिया ।।-2
वक्त- पे -,वक्त गुजरा
बढ़ती गई उल्फत हमारी ,
पर ना पता था दिल को,
तुझको थी बेवफाई की बीमारी।।-2
तेरे दूवेंशाना को ,
सीने से लगाया था ,
तुझको मैं माना अपना ,
यही धोखा खाया था ।।-2
ख्याल जब भी तेरा आया,
अश्क बह जाते हैं ,
रातों को स्वप्न भी,
उठकर मुस्कुराते हैं ।।-2
मजधार में हूं फंसा मैं ,
मंजिल नजर ना आते हैं,
रास्तों पर विछे हैं कांटे ,
दर्द-ओ-आह लेकर आते हैं ।।-2
हुई बहुत चूक हमसे ,
कि तुझको प्यार किया ,
बिना समझे तेरे मन को,
मैंने अपना दिल दिया।।-2