koi bazah na rahi AuthorSantosh kumar singh / Posted onSeptember 27, 2024September 27, 2024 कोई वजह ना रही, जीने की अब हमें, हर पल ढूंढता है मन, जीने की एक वजह।।-2 तरस जाता है मन, सुनने को प्रिय वचन ,जिंदगी में रही, तनहाई व गम , रास्ते हैं वीरान, हमसफर भी नही ,कोई समझा नहीं ,कोई अपना नहीं।।-2 अपने भी मतलबी ,मतलब से जुड़े ,जिंदगी की गाड़ी, अब कैसे चले ।।-2 कोई मुस्कुराहट नहीं, जो निस्वार्थ हो ,हर बातों में व्यंग्य ,दिल से ना बात हो ।।-2 जो मिला है मुझे ,वह समझा ही नहीं ,जो समझा ही नहीं, उससे शिकवा भी नहीं ।।-2 अब मैं चाहूं किसे, कोई मन सा नहीं ,जो मन सा था, वह मिला ही नहीं ।। हर घड़ी हर पल, किस का इंतजार है ,वो मिला ही नहीं ,जिसको मुझसे प्यार है।।-2 कोई वजह ना रही, जीने की अब हमें ,हर पल ढूंढें है मन, जीने की एक वजह ।।-2 दर्द किसको सुनाएं, दर्द में सब पड़े ,अपनी ही शुध नहीं ,किसका दर्द हम हरे।-2 दो बातें मोहब्बत की आजकल कौन करें कोई अपना ही नहीं हम किस पर मरे कोई वजह ना रही, जीने की अब हमें ,हर पल ढूंढता है मन, जीने की एक वजह ।। वो परखते रहे ,हम समझते रहे, पाने को प्रेम ,हम तरसते रहे ।। तल्खीयाॅ जुबान पे,उनके हर पल रही समझ ना पाए मुझे इतनी गर्मी रही वो सुने ना कभी अपनों की बातें जुल्म करते रहे सुनकर गैरों की बातें नफरत इतनी बढी ,की नजर ना मिली, हर तरफ रोशनी ,पर अंधेरा ना हटी।। कोई वजह ना रही, जीने की अब हमें ,हर पल ढूंढता है मन, जीने की एक वजह।।-2 Related