ठहरी नजर जो एक बार तुम- पे

ठहरी नजर जो ,

एक बार तुम-पे,

 अब वो नजर ,

बे -नजर हो गई है ।।

 ठहरती नहीं है 

अब वो कहीं भी 

बस वो नजर 

तुम- पे मर गई है ।।-3

 

ठहरी नजर जो ,

एक बार तुम-पे,

 

 धड़कने हमारी ,

ठहर सी गई है ,

जब से नजर ,

तुम-पे फिदा हो गई है ।।-2

 

महका- महका है 

दिल का प्रांगण 

कोयल की कूक जैसे

 दिल में भर गई है ।।-2 

 

ठहरी नजर जो ,

एक बार तुम-पे,

 अब वो नजर ,

बे -नजर हो गई है ।।

 

 नजरों ने तेरे ,

मुझको छुआ था ,

ऐसा लगा जैसे ,

मोहब्बत हुआ था ।।-2

 

अब वो नजर 

बस तुझे ढूंढती है 

ना तू दिखे तो

 बेचैन रहती है ।।

 

बेचैन चितवन,

 मायूस मन है ,

खुला है नयन,

 पर कहां दर्शन है।।-2

 

ठहरी नजर जो ,

एक बार तुम-पे,

 अब वो नजर ,

               बे -नजर हो गई है ।

 

  एक दिन अचानक ,

वो नजर मिल गई,

 मेरी नजर बस ,

वही टिक गई ।।-2

 

मन ने मेरे दिल ,

को था संभाला ,

बेकाबू हो गया था,

 चल गया था भाला ।।-2

 

ठहरी नजर जो ,

एक बार तुम-पे,

 अब वो नजर ,

  बे -नजर हो गई है ।।