वो आई थी दौलत लेकर

वो आई थी दौलत लेकर
मोहब्बत कहां समझ पाती
हर वक्त दौलत का नशा था उसे
वह मुझे कहां समझ पाती।।

मैंने अकेलापन में उसे आवाज दिया
पर उसने हर आवाज को अनसुना किया
वह दौलत के नशे में थी हरपल
उसने मेरी जिंदगी को विरान किया ।।

भूख जिस्म की शांत होती रही
पर मन हर पल बेचैन रहा
जिसे मैंने चाहा हर पल हर दिन
उसकी यादों ने मुझे परेशान किया।।

टूट चुका था मैं अंदर से पूरी तरह
आगे और टूटता चला गया
जोड़ने को कोई पास में ना था बैठा
फिर भी मैं आगे बढ़ता चला गया।।

उनकी शिकायतों का कोई समाधान न था
अब मेरी जिंदगी में सिर्फ व्यवधान ही था
खोजने लगा मैं साथी अपने ही जैसा
अब मेरा अपना कोई पहचान न था।।

गमों और आंसुओं से दोस्ती हो गई हमारी
अंधेरा ही अच्छा हमें लगता था
उजालों में जाना मुनासिब न लगा हमें
आखिर कोई ना था जिसे हाले दिल सुनाता ।।

she came with wealth
Where could you understand love
He was always intoxicated by wealth
How could she understand me?

I called her in loneliness
but he ignored every sound
she was intoxicated with wealth
He ruined my life.

the hunger of the body remained calm
But the mind was restless every moment
the one i wanted every moment every day
His memories bothered me.

there was no solution to their grievances
Now there was only disturbance in my life
I started looking for a partner like myself
Now I had no identity of my own.

We became friends with sorrows and tears
we liked the dark
We did not find it appropriate to go into the light
After all, there was no one to whom I used to tell my heart.