हदों को तोड़ मत देना – कविता संतोष कुमार सिंह द्वारा रचित

हदों को तोड़ मत देना ,

हम से मुंह मोड़ मत लेना,

कभी हम तेरे दीवाने थे,

दिलों को तोड़ मत देना ।।

 

हदों को तोड़ मत देना ,

रिश्तो को छोड़ मत देना,

कभी सपनों में आती थी ,

अब मुंह मोड़ मत लेना ।।

 

हदों को तोड़ मत देना ,

दिए गिफ्ट तोड़ मत देना ,

मेरी यादों के वाहक हैं ,

इन्हें तुम तोड़ मत देना ।।

 

कभी सपनों में आती थी,

कभी हंसकर रुलाती थी,

कभी रोकर मनाती थी ,

कभी मिलने भी आती थी ,

हदों को तोड़ मत देना।।

 

निशानी छोड़ मत देना ,

तेरी यादें मेरा संबल ,

मुझे जीना सिखाती है ,

हदों को तोड़ मत देना ,

हम से मुंह मोड़ मत लेना ,

कभी हम तेरे दीवाने थे ,

दिलों को तोड़ मत देना ।।

 

हदों को तोड़ मत देना ,

पुरानी गलियां छोड़ मत देना ,

जहां हम तुम छुपकर मिलते थे ,

वहां जाना तुम छोड़ मत देना ।।

 

हदों को तोड़ मत देना ,

हम से मुंह मोड़ मत लेना ,

कभी हम तेरे दीवाने थे ,

दिलों को तोड़ मत देना ।।