है वक्त शिकवा नहीं तुझसे, पर शिकायत है खुद से
क्यों बढ़ गई इतनी दूरियां ,क्यों पैदा हुई गलतफहमियां
ना तुम गलत थे ,ना मैं गलत था
क्या वक्त ने पैदा कर दी ,इतनी सारी गलतफहमियां
सोचा था कि मैं दूर करूंगा ,तुझसे मिलकर सारी शिकायते
पर जितनी कोशिश की, उतनी ही बढ़ गई दूरियां
ना तुम समझ सके मुझे ,ना मैं समझ सका तुम्हें
क्यों वक्त नहीं कि , हम दोनों से इतनी नादानियां
मिले थे तुमसे बरसों पहले ,तो हर पल प्यारा लगता था
अब तो एहसास ऐसा है कि हर रिश्ता बेगाना लगता है
एक गुजारिश है तुझसे ,ऐ वक्त लौटा दे वह पुराना पल
पुराने एहसास ,पुराना प्यार और बीता कल है
ए वक्त शिकवा नहीं तुझसे, पर शिकायत है खुद से
क्यों बढ़ गई इतनी दूरियां ,क्यों पैदा हुई गलतफहमियां
ना तुझे मेरी परवाह रही ,ना मुझे अब कोई चाह रही
कटते जा रहे हैं जिंदगी के पल ,अब कोई आवाज ना रही
है वक्त शिकवा नहीं तुझसे पर शिकायत है खुद से।