यह कविता आज के समाज में बढ़ते अत्याचार ,अपराध ,अव्यवस्था को चित्रित करती है और इसमें कवि ने अपनी लाचारी व्यक्त की है कि इन परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए अर्थात इनका क्या समाधान हो? अंत में वह ईश्वर का स्मरण करते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु आप धरती पर अवतार ले ही लो क्योंकि वह अकेला इन अत्याचारों का सामना नहीं कर सकता।
“ हर तरफ फैलती अंधकार का क्या करूं, धरती पर बढ रहे अत्याचार का क्या करूं ?
हर तरफ फैलती अंधकार का क्या करूं ?
धरती पर बढ़ रहे अत्याचार का क्या करूं ?
धर्म के नाम पर लड़ने वाले पाखंडियों का क्या करूं ?
काले कपड़े में काली सोच रखने वाले का क्या करूं ?
घर के अंदर ही बढ़ रहे व्यभिचार का क्या करूं ?
रामराज में भी बढ़ती अत्याचार का क्या करूं ?
रावण से इनकी तुलना कर रावण का अपमान क्यों करूं ?
हर तरफ फैलती अंधकार का क्या करूं ?
हर तरफ काली लिवास में बढ़ रहे दानवों का क्या करूं ?
सड़कों पर पंक्तिवध बैठे पाखंडियो के दिखावे का क्या करूं?
काले कपड़े में काली सोच रखने वाले का क्या करूं ?
ऊंची आवाज में शोर करने वाले बहरों का क्या करूं ?
देश के बहन बेटियों को बरगलाने वाले दुष्टों का क्या करूं ?
इंसान के भेष में विचरण कर रहे राक्षसों का क्या करूं ?
कुकरमुते की तरह बढ़ते आवारा प्रजाति का क्या करू?
सूटकेस में मिल रही क्षत-विक्षत लाशों का क्या करूं?
फ्रीज में टुकड़ों टुकड़ों में कटी फटी लाशों का क्या करूं ?
देश की बहन बेटियों की आत्मा की शांति के लिए क्या करूं?
कैंडल मार्च और मीडिया में आने के बाद भी क्या करूं?
निस्वार्थ प्रेम ममत्व ओर सर्जन की हत्या करने वालों का क्या करूं?
वीर सावरकर के इस देश में पल रहे जालिम कुत्तों को क्या करूं?
तुष्टीकरण, वोट बैंक ,धर्मनिरपेक्षता का चोला औढें राज्यों का क्या करूं ?
दोनों आंखें बंद कर हाथ में तराजू लिए न्यायालय का क्या करूं ?
सफेद चोला धारण किए बनावट प्रतिनिधियों का क्या करूं?
वोट बैंक को ध्यान में रखकर काम करने वाले नेताओं का क्या करूं?
रिश्वत लेने वाले डरपोक ,खाकी अधिकारियों का क्या करूं ?
जात – पांत में बटे सनातनीयो को क्या करू
बंगाल, केरल, कश्मीर में आतंक फैलाने वाले का क्या करूं
कायर कोम और कमजोर नस्ल के मानव का क्या करूं
कृष्ण की भूमि मथुरा में, सूटकेस कांड होने पर क्या करूं
एनकाउंटर करने वाली सरकार के राज में अपराध बढ़े तो क्या करूं ?
मस्तक पर तिलक और कलावा बांधे इन बहू रुपयों का क्या करूं?
मासूम लड़कियों को बरगलाने वाले इन भेड़ियों का क्या करूं?
धर्म के नाम देश का बँटवारा करने वाले इन दरिंदों को क्या करूं ?
फ्री में बिजली और फ्री में पानी के नाम पर वोट करने वाली जनता का क्या करूं ?
केरला ,बंगाल की तस्वीर बदलने वालो का क्या करूं ?
रोमियो स्क्वायड होने के बाद भी , नारी का अपमान हो तो क्या करू ?
हे ईश्वर अब तो अवतार ले हो लो , मैं अकेला क्या – क्या करूं ?