कहां गए वो लोग ,जिनकी विरासत हम बचा ना पाए।
कहां गए वो साथी , जिनकी यादों को हम भुला ना पाए।।
कहां गए वो लोग ,जो आज भी याद आते हैं।
आंखों से निकले आंसू , उनकी यादों में सूख जाते हैं ।।
कहां गए वह लम्हे ,जो उनकी साथ बिताते थे ।
रोते थे, हंसते थे, गाते थे ,मुस्कुराते थे ।
कहां गए वो लोग ,जिन से मिलना आम था ।
पर चैन भी था, सुकून भी था और जीवन चलायमान था ।।
कहां गए वो लोग, जिनकी दी गई हर नाचीज भी एक चीज थी ।
मन में विश्वास था, स्नेह था और लगाव था ।
कहां गए वो लोग ,जिनकी आंखों में प्यार था।
मेरे दुख – सुख का बराबर साझीदार था।।
कहां गए वो लोग ,जिन्हें देखकर सुकून मिलता था।।
दूर जब वह जाते थे ,मन को घुटन मिलता था।।
कहां गए वो लोग ,जो दिवाली दिल से मनाते थे ।
घर में बुलाते थे, प्यार और विश्वास से खिलाते थे ।।
कहां गए वो लोग ,जो होली में गले लगाते थे ।
दुश्मन से भी दोस्त की तरह मिल जाते थे।।
आज का समय और सौहार्द कैसे बदल गया ।
जिसे अपना समझते रहे ,वह कैसे इतना बदल गया ।
ऐ वक्त तुझसे ख्वाहिश यही है ,लौटा दो वह पुराना पल।
जिसमें समय था ,सुकून था और विश्वास का ऐहसास था।