गोवर्धन पूजा क्या है?
गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा की जाती है ।जिस प्रकार देवी महालक्ष्मी सुख समृद्धि की देवी मानी जाती है उसी प्रकार गाय माता भी अच्छे स्वास्थ्य प्रदान करने वाली देवी मानी जाती है क्योंकि गौ माता का दूध बहुत पौष्टिक होता है। एक और गौ माता जहां दूध प्रदान करती है वहीं दूसरी ओर वह बच्चा पैदा करती है ,जिसका उपयोग मानव खेतों को जोतने के लिए करता है इसलिए गाय माता को पूजनीय माना जाता है ।अतः गाय माता को सम्मान देने के लिए कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा का एक अन्य नाम अन्नकूट पर्व भी है गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का छप्पन भोग कराया जाता है देश के ग्रामीण क्षेत्रों में गोवर्धन को पड़वा भी कहा जाता है और कुछ जगहों पर इसे भूत के लिए दिवस भी कहा जाता है कुशकों पर इसे भूत कीड़ा दिवस भी कहा जाता है धूत खेड़ा भू
ऐसी मान्यता है कि जब इंद्र, ब्रजवासीयो को परेशान करने के लिए भयंकर वर्षा की शुरुआत की थी तो श्रीकृष्ण ने वज्र वासियों को भयंकर वर्षा से बचाने के लिए 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को सबसे छोटी उंगली पर उठा कर रखा था ताकि वज्र वासियों की जान माल की रक्षा की जा सके ।गोवर्धन पर्वत के कारण तथा भगवान श्री कृष्ण के कारण ही वज्र वासियों की जान बच पाई थी। इसी कारण गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।
इसी दिन गाय बैल को नहला कर उन्हें तरह-तरह के रंग लगाया जाता है, और उसके गले में एक नई रस्सी डाली जाती है ।इसके अलावा गाय एवं बहनों को गुड़ एवं चावल मिलाकर खिलाया जाता है ।
26 अक्टूबर 2022 को गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6:12 से 8:32 बजे तक है।
गोवर्धन पूजा की विधि तथा महत्व-
सुबह उठे, स्नान करें ,शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं ।गोवर्धन पर्वत के आसपास अन्य पौधों की आकृति बनाएं और बीच में कृष्ण भगवान को रखें ।अब तय विधि से गोवर्धन पर्वत पर धूप, दीप ,जल ,फल और नैवेद्य अर्पण करें और पूजा के पश्चात अन्नकूट का भोग लगावे ।तत्पश्चात गोवर्धन पूजन के बाद गोवर्धन पर्वत जी का परिक्रमा करें । कम से कम 5 बार या 7 बार।
गोवर्धन पूजा का महिमा-
ऐसी मान्यता है कि गोवर्धन पूजा विधि अनुसार करने से मानव को लंबी आयु प्राप्त होती है ।वह रोग मुक्त होता है ।फलस्वरुप मनुष्य का जीवन सुखी और समृद्ध बनता है।