शायरी। ( Shayari)

तुम्हें♥ खोजते- खोजते

कितनों के नजरों में मैं आ गया ,

जो इश्क मैंनें तुमसे किया था ,

वह कब का जहन में समा गया ,

अब तो खुद की ही सुध ना रही ,

पर न जाने मैं कितनों के

नजरों को भा गया। ।।

बिखरने का डर तो था
उनके इश्क में
जमाने को पता नहीं
की बिखरे लोग ही
मोहब्बत किया करते हैं।।

किसी की बेरुखी ने ,
किसी के पास पहुंचा दिया ,
मोहब्बत जिनसे की थी ,
उसने मुझे जीना सिखा दिया।।

मेरे दिल के दरवाजे को
मुस्कुरा कर खुलवाना मत
हम बिखरे हुए लोग हैं
इश्क करके भाग जाना मत।।

आप मुझे बहुत याद आते हो ।
तनहाई में नहीं , हर पल सताते हो।।
रिश्ता हमारा बिस्तर का ना था शायद ।     इसीलिए हर पल याद आते हो।।

 

कोई वजह न थी मुस्कुराने की ,

उनकी आदत थी

नैनो से तीर चलाने की

हम तो पहले से ही कायल थे

तेरे हुस्न का

फिर जरूरत क्या थी

ऐसी की तैसी करवाने की।।

किसी का किसी से मिलना ,   

 

               नसीबों की बात होती है

 


करोड़ों लोग हैं इस जहां में,

 


पर कुछ के साथ ही मुलाकात होती है ,         


जिनके साथ जुड़ी है जज्बात।   

 

              उन्हीं के साथ तो पूरे उम्र का साथ होती है


वह कहीं भी रहे इस जहां मे 

 

दिल में बस उनकी ही याद होती है

 

गर मोहब्बत हो जाए उस बला से

 

तो समझो कि जिंदगी आबाद होती है

दूर हो जाए गर वह जिंदगी से

 

तो समझो कि जिंदगी बर्बाद होती है।। 

 

 

खाना तो हमेशा बीवी का ही खाना चाहिए


बीवी किसकी है यह किसी को नहीं बताना चाहिए 

खाने में थोड़ा नमक भी  मिलाना चाहिए


बीच-बीच में खाना बनाने वाली बीवी से बतियाना चाहिए।।