यह कविता प्रेम की उलझनों और अंतरद्वंद को दर्शाती है। कवि अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए बता रहा है कि कैसे उसकी प्रिय के होने के बावजूद, उसका मन बेचैन और दिल परेशान रहता है। यह एक प्रेमी के अंतर्द्वंद को उभारता है, जो अपनी प्रेमिका के प्रति असीम प्रेम के बावजूद खुद को संतोषजनक स्थिति में नहीं पा रहा है।कविता में एक गहरा भाव है कि प्रेम की पूर्णता मिलने पर भी, मन और दिल में बेचैनी क्यों बनी रहती है। यह वह सवाल है जो हर प्रेमी के मन में उठता है, जब वह अपने प्रिय से दूर होता है या किसी अनिश्चितता का सामना करता है।कविता में प्रेम की तड़प, मिलन के बावजूद असंतोष, और प्रिय के प्रति गहरी चाहत की अभिव्यक्ति है।