ठहरी नजर जो एक बार तुम- पे AuthorSantosh kumar singh / Posted onSeptember 19, 2024September 19, 2024 ठहरी नजर जो ,एक बार तुम-पे, अब वो नजर ,बे -नजर हो गई है ।। ठहरती नहीं है अब वो कहीं भी बस वो नजर तुम- पे मर गई है ।।-3 ठहरी नजर जो ,एक बार तुम-पे, धड़कने हमारी ,ठहर सी गई है ,जब से नजर ,तुम-पे फिदा हो गई है ।।-2 महका- महका है दिल का प्रांगण कोयल की कूक जैसे दिल में भर गई है ।।-2 ठहरी नजर जो ,एक बार तुम-पे, अब वो नजर ,बे -नजर हो गई है ।। नजरों ने तेरे ,मुझको छुआ था ,ऐसा लगा जैसे ,मोहब्बत हुआ था ।।-2 अब वो नजर बस तुझे ढूंढती है ना तू दिखे तो बेचैन रहती है ।। बेचैन चितवन, मायूस मन है ,खुला है नयन, पर कहां दर्शन है।।-2 ठहरी नजर जो ,एक बार तुम-पे, अब वो नजर , बे -नजर हो गई है । एक दिन अचानक ,वो नजर मिल गई, मेरी नजर बस ,वही टिक गई ।।-2 मन ने मेरे दिल ,को था संभाला ,बेकाबू हो गया था, चल गया था भाला ।।-2 ठहरी नजर जो ,एक बार तुम-पे, अब वो नजर , बे -नजर हो गई है ।। Related