कितनी कमी है तेरी कैसे बताऊं मैं

 

यह कविता दिल की गहराइयों से निकले भावों को व्यक्त करती है, जिसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका से दूरी और उसकी यादों की कमी को शब्दों में बयां करने की कोशिश कर रहा है। वह कहता है कि वह उसकी कमी को कैसे बताए और हर पल उसके पास आने की ख्वाहिश रखता है, लेकिन तकदीर ने दोनों के बीच दूरियां लिख दी हैं। यह दर्द और प्यार का ऐसा एहसास है जिसे वह छुपा नहीं पा रहा, और उसकी मोहब्बत को भी पूरी तरह से दिखा नहीं पा रहा।

कितनी कमी है तेरी ,

कैसे बताऊं मैं ,

बस यही सोचता हूं ,

कैसे पास आऊ मैं ।।-2

 

तुझको भुला ना पाया,

 कैसे बिसराऊॅ में,

 आती है यादें इतनी ,

कैसे जी पाऊॅ मैं ।।-2

 

एहसास दिल में हर पल,

 कैसे छुपाऊं मैं ,

बस यही सोचता हूं,

 कैसे बताऊं मैं ।।-2

 

कितनी कमी है तेरी,

 कैसे बताऊं मैं ,

बस यही सोचता हूं ,

कैसे पास आऊ मैं ।।-2

 

दूरियां लिखी है रब ने ,

कैसे पास आऊं मैं ,

भर के आंखों में आंसू ,

कैसे मुस्कुराऊ मैं?-2

 

 कितनी मोहब्बत दिल में,

 कैसे दिखाऊं मैं ,

जब भी बताना चाहा,

 बहुत घबराऊ मैं ।।-2

 

कितनी कमी है तेरी ,

कैसे बताऊं मैं ,

बस यही सोचता हूं,

  कैसे पास आऊ मैं।।-3

 

 मेरी आशिकी बस तुमसे,

 कैसे बताऊं मैं ,

कटते नहीं वक्त अब तो,

 कैसे जी पाऊं मैं ।।-2

 

खड़ा रहता हूं हर पल ,

राहों में तेरे ,

जी करता है ,

पलकें बिछाऊ मैं।।-2

 

 कितनी कमी है तेरी ,

कैसे बताऊं मैं ,

बस यही सोचता हूं ,

कैसे पास आऊं।।-2